रोहतक । स्ट्रेंथ लिफ्टिंग की गोल्डन गर्ल कही जाने वाली प्रदेश की बेटी अब मजदूरी करने के लिए मजबूर है. ना सरकार की तरफ से मदद का हाथ बढ़ाया गया, ना ही सामाजिक संगठन उनकी मदद के लिए आगे आ रहा है. खेल प्रतिभा संकट के दौर से गुजर रही है. बता दें कि यह रोहतक के सीसर गांव निवासी स्टैंथ लिफ्टिंग की खिलाड़ी सुनीता है. उनकी हालत काफी खराब है जिसकी वजह से घर का चूल्हा भी मजदूरी से जलता है. लेकिन हौसला और लक्ष्य बड़ा है.
20 से अधिक मेडल जीतकर किया देश का नाम रोशन, अब मजदूरी के लिए मजबूर
सुनीता ने महज 3 साल मे ही 20 से अधिक मेडल जीतकर प्रदेश व देश का नाम रोशन किया था. लेकिन यह होनहार खिलाड़ी अब आर्थिक संकट से जूझ रही है. घर में कमाई का केवल मजदूरी ही साधन है. वह महम कॉलेज में BA द्वितीय वर्ष की पढ़ाई भी कर रही है. बता दे कि घर का खर्च चलाने के लिए माता पिता के साथ मजदूरी करने के लिए मजबूर है. साथ ही स्ट्रेंथ लिफ्टिंग में देश का गौरव बढ़ाने की जिद्दी भी है. उनके घर की आर्थिक हालात खराब है लेकिन फिर भी उनके माता-पिता ने कर्ज लेकर बेटी को फरवरी 2020 में थाईलैंड के बैंकॉक में हुई विश्व स्तरीय प्रतियोगिता में खेलने के लिए भेजा था. वहां उनकी बेटी ने अपनी प्रतिभा दिखाई और गोल्ड मेडल जीतकर देश का मान बढ़ाया.
ना सरकार, ना ही सरकारी संगठन आ रहे हैं मदद के लिए आगे
सुनीता बताती है कि पिछले साल का कर्ज अब तक भी उनके माता-पिता नहीं उतार पाए हैं. ऐसे में अब इस साल कजाकिस्तान में होने वाली विश्व स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेने को लेकर भी संकट खड़ा हो गया है. 1 से 5 अक्टूबर तक होने वाली विश्व स्तरीय चैंपियनशिप के लिए वह लॉकडाउन में घर पर रहकर ही तैयारी कर रही है. चैंपियनशिप के लिए जुलाई में रजिस्ट्रेशन करवाया जाएगा.
उसके लिए लगभग डेढ़ लाख का खर्चा होगा, लेकिन अबकी बार अभिभावकों ने भी कर्ज उठाने से मना कर दिया है. सुनीता की माता जमुना व पिता ईश्वर का कहना है कि उन्होंने पिछले वर्ष ब्याज पर लाखों रुपए उठाकर बेटी को खेलने भेजा था, बेटी ने भी गोल्ड जीतकर देश का मान बढ़ाया था, लेकिन लॉकडाउन में अब दिहाड़ी भी नहीं मिल पा रही. पिछले ब्याज की रकम भी अभी तक नहीं दी जा सकी है, ना ही सरकार की तरफ से भी कोई आर्थिक मदद मिल रही है.