चंडीगढ़ । हरियाणा के पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके इनेलो अध्यक्ष ओमप्रकाश चौटाला सात बार विधायक बन चुके हैं. बता दे कि उन्होंने विभिन्न विधानसभा सीटों से 3 उपचुनाव और 4 आम चुनाव जीते हैं. अब वह ऐलनाबाद उपचुनाव में भी अपनी ताल ठोक सकेंगे यदि केंद्रीय चुनाव आयोग उनकी 6 सालों तक इलेक्शन न लड़ पाने की कानूनी योग्यता को खत्म कर दे.
जानिए ओम प्रकाश चौटाला के राजनीतिक जीवन के बारे में
इनेलो महासचिव व विधानसभा के विपक्ष के नेता रह चुके अभय चौटाला ने दावा किया कि यदि कानूनी अड़चन नहीं आई तो बड़े चौटाला ऐलनाबाद से उप चुनाव लड़ सकते हैं. चौटाला के राजनीतिक जीवन में उनका मौजूदा जुलाई महीने से पुराना नाता रहा है. बता दे कि चौटाला कुल 5 बार राज्य के सीएम बने जिसमें से दूसरी और चौथी बार वह जुलाई महीने में ही सीएम बने. 31 साल पहले 12 जुलाई 1990 को चौटाला ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की थी. जब तत्कालीन मुख्यमंत्री बनारसी दास गुप्ता को 2 माह में इस पद से हटा दिया गया था.
5 बार बने ओम प्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री
हालांकि चौटाला के मुख्यमंत्री बनने के बाद 5 दिनों बाद ही 17 जुलाई 1990 को राजनीतिक व्यवस्था की वजह से उन्हें भी त्यागपत्र देना पड़ा और हुकुम सिंह अगले मुख्यमंत्री बन गए थे. उस समय उनके पिता चौधरी देवीलाल देश के प्रधानमंत्री थे. 2 दिसंबर 1989 को चौटाला पहली बार मुख्यमंत्री बने थे. 22 मई 1990 तक वे इस पद पर बने रहे. पद से हटने के कुछ दिनों के बाद ही उन्होंने सिरसा की तत्कालीन दरबाकलां सीट से उपचुनाव जीता. जिसके बाद छठी विधानसभा के दौरान वह तीसरी बार मुख्यमंत्री बने. केवल 2 सप्ताह तक ही वह इस पद पर रहे.
वर्ष 1993 में भजनलाल सरकार के कार्यकाल के दौरान नरवाना उपचुनाव जीतकर उन्होंने सबको हैरान कर दिया. पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के अधिवक्ता हेमंत कुमार के अनुसार इसी दौरान चौटाला पहले जनता दल, फिर समाजवादी जनता पार्टी, फिर समता पार्टी में रहे. 1996 के लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने हरियाणा लोकदल हलोधरा के नाम से नई पार्टी बना ली. 1998 में लोकसभा के मध्यावधि चुनाव में बसपा से गठबंधन कर प्रदेश की 10 में से 5 लोकसभा सीटें हासिल की.
बाद में चौटाला ने अपनी राजनीतिक पार्टी का नाम बदलकर इंडियन नेशनल लोकदल कर लिया था. 24 जुलाई 1999 को चौटाला चौथी बार मुख्यमंत्री बने. तत्कालीन बंसीलाल की हबीपा – भाजपा गठबंधन की सरकार से पहले जब भाजपा ने समर्थन वापस ले लिया. जिसके बाद हविपा में फूट पड़ गई. उसके बाद दिसंबर 1999 में उन्होंने विधानसभा बंद करवा दी. 2 मार्च 2000 को वह पांचवीं बार मुख्यमंत्री बने. इस बार वह पूरे 5 साल तक पद पर रहे.